STORYMIRROR

Swapna Sadhankar

Others

4  

Swapna Sadhankar

Others

दर्द-ए-आशिक़ी

दर्द-ए-आशिक़ी

1 min
278


कारगर दवा के लिए पल-पल तड़पना होगा,

दिल लगाओगे तो दर्द से रिश्ता जोड़ना होगा।

अनचाहे दूर होकर सबसे, अपनों को कर पराया,

लाइलाज तरसते आँसुओं से गले लगना होगा।


इंतज़ार की आँच में तिल-तिल जलना होगा,

इश्क़ करोगे तो जुदाई से मुश्किल सामना होगा।

चाहे कर लो लाख़ जतन, या फिर मिन्नतें हज़ार,

शाम-ओ-सहर यादों के सहारे वक़्त गुज़ारना होगा।


बेचैनी के नशे में चैन को चूर-चूर करना होगा,

उल्फ़त में उलझोगे तो जी को आहें भरना होगा।

तोड़कर सारे बंधन, खो कर अपना होश-ओ-हवास,

साँसों को लुटाकर दीवानगी में धुत रहना होगा।


धड़कनों को ख़ामोशी से हौले-हौले चलना सीखना होगा,

मोहब्बत में आशिक़ी को बहरहाल बेक़रारी को सहना होगा।

पहनकर ग़म-ए-हिज्र पर, साज़-ए-रूह का नक़ाब,

सोज़-ए-ज़िंदगी में झूठ-मूठ की मिठास को घोलना होगा।



Rate this content
Log in