प्यार करने लगी हूँ ख़ुद से
प्यार करने लगी हूँ ख़ुद से
सिर्फ़ इतना सा था कुसूर मेरे इस नादान दिल का,
बिना सोचे समझे तुमसे इश्क़ बेपनाह कर लिया।
निकली ही थी पार करके बाली-उम्र की दहलीज़,
के जवानी के रास्ते पर ख़ुद को गुमराह कर लिया।
खूब देखें थे ख़्वाब मैंने ज़िंदगी की कामयाबी के,
तुमसे मिलने के बाद उनको कम-निगाह कर लिया।
अपनी आँखों पर बाँधकर पट्टी दीवानगी की,
ज़िंदगानी की बर्बादी का यूँ इफ़्तिताह कर लिया।
करती रही एतबार मैं हर बार तुम्हारे झूठे वादों पर,
और बेवफ़ाई नज़रअंदाज़ करके निबाह कर लिया।
बार बार फँसकर तुम्हारी मीठी बातों के जाल में,
सच से मुँह मोड़कर ख़्वाहिशों को तबाह कर लिया।
हक़ीक़त से उठ गया पर्दा जब खुल गई मेरी आँखें,
ज़िंदा रहने के लिए फ़िर ख़ुद को बेपरवाह कर लिया।
अपने आप से प्यार करने के ख़ातिर, आख़िर-कार,
तुम्हें बेदख़ल करके मैंने दिल को सियाह कर लिया।
