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Swapna Sadhankar

Others

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Swapna Sadhankar

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ना-क़ाबिल-ए-बरदाश्त क़िरदार

ना-क़ाबिल-ए-बरदाश्त क़िरदार

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दिन-ब-दिन बढ़ते जा रही है उसकी बदसुलूकी यों,

के उससे हर एक अपना अब हो रहा है बेहद बेज़ार।

कतई बाज़ ही नहीं आ रहा है वक़्त की मार से भी,

होते जा रहा है उसका बरताव इतना ज़ियादा ख़ूँख़ार।

बेअसर हैं उस पर सलाह, मशवरा, मशवरत, सबकुछ,

नज़र नहीं आ रहें हैं उसका रवैया सुधरने के कुछ आसार।

कैसे करेगा कोई बद-मिज़ाज का एहतराम इस अंजुमन में अब,

जानने के बाद उसका ना-क़ाबिल-ए-बरदाश्त क़िरदार।



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