STORYMIRROR

Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

आजकल नींद मुझे इतना रुलाती है

आजकल नींद मुझे इतना रुलाती है

1 min
311

आजकल नींद मुझे इतना रुलाती है,

सारी - सारी रात तेरी याद सताती है,

मैं पलकें बंद भी अगर ये कर लूँ,

बंद पलकों में भी ये रोज जगाती है।


धड़कने धकधक का शोर करतीं,

कानों में तेरी बातों का जज़्ब भरतीं,

दिमाग भी सोने से तब मनाही करता,

तेरे इश्क के रँग में ये और रँगता।


होठों पे मुस्कान खुद उभर जाती,

जब तेरी शरारतें समझ आतीं,

एक नशा सा तब चढ़ने लगता,

नींद फिर पलकों से उछट जाती।


वासनायों की आग में दिल बहक जाता, 

तेरी तरकीबों से तब थोड़ा संभल पाता,

तेरे साथ मिलन की जब उम्मीद जगती,

खुली पलकों से तब सुबह की किरण दिखती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance