क्या ग़लती है मेरी
क्या ग़लती है मेरी
क्या ग़लती है मेरी ये तो बता दो मुझे,
क्यों ख़फ़ा ख़फ़ा रहते हो
हम इतने अंजान कब बन गए कि
अब तो हमारा ज़िक्र भी
आपकी ज़ुबान पर नहीं आता
क्या ग़लती है मेरी
पहले तो कभी इतना
ख़फ़ा नहीं देखा आपको,
हर पल आप मुझे अपना वक़्त
दिया करते थे अपनी बातों के ज़रिए
मेरा बिना बोले आप
मेरी बात को समझ लेते थे,
लेकिन आपको तो पता है ना
बिना बोले मुझे कुछ समझ नहीं आता
क्या ग़लती है मेरी ? हाँ में मानती हूँ कि
मैं बहुत प्रश्न पूछती हूँ आपसे,
लेकिन आप क्यों नहीं समझते
मेरे सबसे अच्छे दोस्त की परवाह है मुझे,
मैं आपके पास नहीं आ सकती
इसलिये बातों से हाल पूछ लेती हूं
क्या ग़लती है मेरी,
आपका यूँ बेवजह गुस्सा करना
मन ही मन मुझे तड़पा रहा है,
आपके बारे में सोच सोच कर
मेरी रातों की नींद उड़ गई है
क्या यहीं ग़लती है कि मेरी कि
मैंने आपको अपना ईश्वर माना है,
जिसने मेरी जिंदगी बदल दी है,
जिसके आने के बाद मेरी जिंदगी
गुलज़ार बन गई है,
उनका ख़याल रखना मेरी ग़लती है,
उनके बारे में हरपल सोचना ग़लती है
सिर्फ़ एक बार बता दो क्या ग़लती है मेरी ...?