मैं तुझे फिर मिलूंगी
मैं तुझे फिर मिलूंगी
मैं तुझे फिर मिलूंगी, कहां, किस तरह पता नहीं,
पर तुमसे जरूर मिलूंगी, इस प्रेम कहानी को अमर करूंगी।
कभी में तुम्हें तुम्हारी कल्पनाओं में, तुम्हारे लिखे गानों में,
हर एहसास में, तुम्हारे गम में, सपनों मौजूद रहूंगी।
मेरी हर किताब में , कविता में हर रोज तुमसे मुलाकात करती हूं,
पर तुमसे मैं उस मंदिर में फिर मिलूंगी जहां हर रोज़ तुम्हें मैं अपने लिए मांगा करती हूं,
मैं तुमसे फिर मिलूंगी।।

