मेरी आशिकी का रंग
मेरी आशिकी का रंग
मेरी आशिक़ी का लाल रंग कुछ इस क़दर छा जाए कि
हम ओर तुम सातों जन्मों के साथी बन जाए ..
मेरी आशिक़ी का रंग कुछ इस तरह बिखरे की
तुम्हारे मांग का सिंदूर बन जाए ...
मेरी प्यार का रंग कुछ इस तरह तुम्हारे गालों पे लगे कि,
होली का रंग तो मिट जाए पर आशिकी का बुख़ार ना उतरे जिंदगी भर ..
मेरी आशिकी का जादू कुछ इस तरह चल जाये कि इतने दूर हो कर भी तुम,
इस क़दर मेरे पास आ जाओ जैसे रुक्मणी को लेने कान्हा आये थे ..
मेरी आशिकी का रंग कुछ इस तरह रंग लाये कि
उनका प्यार का पैग़ाम आते ही में लाल जोड़े में सज जाऊ ..
मेरी आशिकी का रंग ऐसे उन पर लगे कि सारी जिंदगी
वो मेरे साथ कदम से कदम मिला कर चले ..
मेरी आशिकी का रंग कुछ ऐसे उड़े उन पर वो दौड़े चले
आये मेरे संग जिंदगी बिताने के लिए,
मेरे प्यार को मुक्कमल करने के लिए ..
इस फ़ागुन में होली के रंगो में कुछ इस तरह रंग दूँ तुम्हें,
मेरे प्यार का लाल रंग तुम्हारे मुँह पर लगा दूँ में,
कुछ इस तरह अपना बना लू तुम्हें, मेरी आशिकी में इस क़दर रंग दूँ तुम्हें।

