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Sushil Pandey

Romance

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Sushil Pandey

Romance

अब भी नाम हथेली पर क्या, लिखती और मिटाती होगी?

अब भी नाम हथेली पर क्या, लिखती और मिटाती होगी?

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अब भी नाम हथेली पर क्या, लिखती और मिटाती होगी?

जाने क्यों लगता है अब भी? उसे, मेरी याद सताती होगी!

मेरी गलियों में जाकर उसको जाने कैसा लगता होगा?

घर को मेरे देख पुराने, वो बच्चे को गले लगाती होगी!!

           अब भी नाम हथेली पर क्या........


याद उसे क्या होगा अब भी नजर जो मुझसे मिल जाती थी 

आंख चुराकर मुझसे फिर, वो धीरे-धीरे मुस्काती थी 

मुझे देखने के ही ख़ातिर, वो छत पर आया करती थी

फिर सखियों से छेड़े जाने पर, निश्चित ही इठलाती होगी

           अब भी नाम हथेली पर क्या..........


मेरा भी उसके घर तब ही जाना होता था,

होली या दीवाली हो त्योहार बहाना होता था,

उसके हाथों में मेहँदी से नाम गुदा जो होता था।

मुझे दिखाकर नाम मेरा फिर, वो भी तो शरमाती होगी। 

           अब भी नाम हथेली पर क्या...........


सांसो से होकर उसको धड़कन तक जाना होता था,

मिलकर दिल से, आंखों से फिर वापस आना होता था,

जाते उसको देख मेरा दिल भी तो भर आता था

मुझको रोता देख वो फिर, खुद भी तो मर जाती होगी।

            अब भी नाम हथेली पर क्या...........


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