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AVINASH KUMAR

Abstract Romance

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AVINASH KUMAR

Abstract Romance

बस इतनी सी हसरत

बस इतनी सी हसरत

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तुम प्यार की मूरत हो, अब तुम मेरी जरूरत हो,

गुलाबों को क्या देखूं, तुम इससे भी खूबसूरत हो,


तुम्हारी झील सी आँखों मे, डूबा रहता हूँ मैं,

तुम्हारे प्यार की बातें को, यादें करता रहता हूँ मैं,


आँखो से दूर हो तुम, मगर दिल के करीब हो तुम,

मिलन और जुदाई के कशमकश मे भी, कितने अजीब हो तुम 


भरी महफिल में न जाता हूँ तन्हाई मे रो लेता हूँ,

जुदाई का जख्म गहरा है, किसी को दिखने ना देता हूँ,


अब बस इतनी सी हसरत दिल मे बची है मेरी 

तेरे इश्क़ मे डूबकर कतरे से दरिया हो जाने की,

तुझसे शुरू होकर, तुझमे ही खत्म हो जाने की।


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