कुछ धुंधली यादें
कुछ धुंधली यादें
कुछ यादें अब धुंधली हो चुकी है पर याद आती है,
शायद भूल कर भी नहीं भूल सकता मैं उन यादों को,
मेज पर रखा वो तुम्हारा चाय का कप मीठी सी याद है,
कभी वो दो चाय के प्याले एक साथ दिखा करते थे,
आज तुम्हारी याद में अकेले ही हम चाय पी लेते हैं,
कुछ यादें अब धुंधली हो चुकी है पर याद आती है,
और कभी-कभी तो तुम हमें इतने ही याद आते हो,
हम तुम्हारी उन धुंधली सी यादों के सहारे जी लेते हैं,
वो तुम्हारे आने की दस्तक आज भी सुनाई देती है,
दिल के कोने में कहीं तुम्हारी छवि आज भी रहती है,
वो तुम्हारा मेरी हर बातों पर यूँ प्यार से मुस्कुराना,
चाहे हो गम या कोई उदासी खुशियों को बटोर लाना,
वो यादें अब धुंधली हो चुकी है पर याद आती है।

