विचार
विचार
1 min
245
वो बेश कीमती समय सी है.
मैं फिजूूल सा जाया हूूं..
वो राजकुमारी राधा सी...
मैं कृष्ण कहां बन पाया हूं ....।
वो सजी हुई दुल्हन सी है.
मैं भटक रहा इक साया हूं..
वो इक अमोघ के बांण सी है...
मैं तरकश सा इक काया हूं....।
वो व्याकुलता हैैै सीता की
मैं नेत्र राम सा पाया हूंं..
वो स्वावलंब की सीमा है...
मैं भ्रम में लिपटा माया हूं....।
वो राजकुमारी राधा सी
मैं कृष्ण कहां बन पाया हूं..।