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संदीप सिंधवाल

Romance

3  

संदीप सिंधवाल

Romance

तुम मिलना मुझसे

तुम मिलना मुझसे

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तुम मिलना मुझसे 

वहीं शजर की छांव में 

कानों पर वही बाली 

वही पायल पांव में।


कुछ भुला चुके हम 

अपनी जिम्मेदारियों के चलते 

कुछ याद आ जाए

खुशियां हंसते और गाते। 


हम बड़े क्यों हो जाते हैं 

समझदारी की चाहत में

जबकि रोंगटे खड़े हो जाते 

एक हल्की सी आहट से।


तुम्हारा फिर से मिलना

एक नई उम्मीद जगाएगा 

मैं कहां से कहां पहुंचा हूं 

मेरा वजूद मुझे बताएगा। 


दूर से आते हुए रास्ते 

वहीं खत्म जहां मैं खड़ा हूं 

तुम तय कर सको तो 

जानोगे किस बेहाल पड़ा हूं। 



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