निमंत्रण
निमंत्रण
हमारे दिल कि दुनिया में मेरे हमदम चले आएं
हमारे हिस्से में सारे तुम्हारे गम चलें आएं
चलो आपस में मिल कर के बना ले प्यार का संगम
उधर से तुम चली आओ इधर से हम चले आएं
मुकद्दर का भरोसा क्या कभी भी रुठ जाता है
जिसे भी हमसफ़र समझो वो इक दिन छुट जाता है
खिलौनों की तरह होते सभी सपने ये मेरे हैं
खिलौना तो खिलौना है खिलौना टूट जाता है!