इजहार
इजहार
तुम्हारे ही मुहब्बत के तराने रोज आते है।
तुम्हारे पास आने के बहाने रोज आते है।
तुम्हारे ही कदम मेरे पड़े सपनों में जिस दिन से
उसी दिन से हमें सपने सुहाने रोज आते है।
नजर में तुम नजर में हम नजर से प्यार करते है।
मुहब्बत में तुम्हें अपना सनम स्वीकार करते है।
तुम्हें ही देख कर हंसना नजर तुम से चुरा लेना
मुहब्बत का सनम अपनी यूँ हम इज़हार करते है।

