तुम्हें मालूम है हम उस गली से क्यो गुजरते है?
तुम्हें मालूम है हम उस गली से क्यो गुजरते है?
भला मुझको बुरा वो भी बहुत तो खूब कहता है।
मुहब्बत में जमाने के वो ताने खूब सहता है।
तुम्हें मालूम है हम उस गली से क्यों गुजरते है?
असल में उस गली में ही मेरा महबूब रहता है।
मुहब्बत का महकता वो तो बन कर फूल बैठे है।
तेरी बांहों के झूले में सनम हम झूल बैठे है।
निगाहों ने तुम्हारी जाने क्या जादू किया मुझ पर
तुम्हारे इश्क में पड़ कर स्वयं को भूल बैठे है।

