सुहाने सपने
सुहाने सपने
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मुहब्बत की अधूरी ये कहानी छोड़ जाऊंगा।
तुम्हारे नाम अपनी ये जवानी छोड़ जाऊंगा।
जिसे तुम जिन्दगी अपनी भुला पाओगी ना सारी
तेरे होठों पे ऐसी मैं निशानी छोड़ जाऊंगा।
सुबह होते सभी सपने सुहाने टुट जाते हैं।
जमाने के चिढ़ाने से दिवाने छुट जाते हैं।
दिलों को तोड़ देना तो बहुत आसान है लेकिन
दिलों को जोड़ने में तो पसीने छुट जाते हैं।