अपने इश्क में
अपने इश्क में
मानो या ना मानो,
मैने दिल से बस,
तुम्हें ही चाहा।
अपनी हर चाहत को,
तुमसे धीरे-धीरे,
सपनों में कहा।
तुम्हारे लिए मैने,
दुनिया के हर ताने को,
चुपचाप सहा।
छुपती मोहब्बत,
जब रंगीन हुई,
तब दिया सब कुछ भुला।
आज भी जब दर्द,
उठता है इस सीने में,
तब रोते हैं दर्द बहां।
मानो या ना मानो,
अपने इश्क में,
है सब कुछ छुपा।।

