बहुत देखें चाहने वाले
बहुत देखें चाहने वाले
जबसे देखा तुम्हें, तबसे चाहा तुम्हें
सायें सा पीछे तेरे भागकर
करके तुमसे बातें, सपनों मे मुलाकातें
तन्हा काटें रातें जागकर
बहुत देखें चाहने वाले,
मगर दिल ने तुम्हें चाहा
यह चाहत सिर्फ़ हैं तुम्हारे लिए,
मिलेंगी फ़िर कोई तुम जैसा कहा
कोई रिश्ता होगा तुमसे,
जो दिल से हमें जुड़े हुए हैं
करू इज़हार क्या तुमसे कभी,
या जो चल रहा है उसे चलनें दे
आऊंगा कभी मिलने तुमसे,
लेकर यह दिल जायेगा जहा
बहुत देखें चाहने वाले,
मगर दिल ने तुम्हें चाहा
तेरा देखना मुसकुराना,
मेरा दिल क्यों पिघलता है
तेरे मुसकुराहट में जन्नत,
क्यों मेरा दिल ढूंढता है
महसूस किया इश्क़ क्या है,
धड़कता जो मेरे दिल में यहाँ
बहुत देखें चाहने वाले,
मगर दिल ने तुम्हें चाहा।