सावन
सावन
अब के जो आए सावन..
रूठ न जइयो ..हाँ
ठहर ठहर जइयो .. हाँ
तन ही नहीं मोरा ..
मन भी भिगइयो सावन
ठहर-ठहर जइयो सावन । ।
बरसों हैं बरसी अँखियाँ
दरशन को तरसी अँखियाँ ..हाँ
बूंदन को तड़पी अँखियाँ
सूखे पड़े नैनन की
प्यास बुझइयो सावन...ठहर ठहर जइयो सावन। ।
सूनी है मन की गलियाँ
सूखी हैं दिल की कलियाँ
विरह की तपन में मोरी
काली हुई हैं रतियाँ
बदरा के होठों से ज़मीं चूम जइयो सावन ...
ठहर-ठहर जइयो सावन..
रूठ न जइयो सावन ।।
भारी गरज मोरी
तुम ना गरजियो सावन
सुनियो अरज मोरी
पिय को भिगइयो सावन
साथ ले अइयो सावन
रूठ न जइयो सावन ..
ठहर-ठहर जइयो सावन। ।
अब के जो आए सावन ....!!

