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akhilesh yadav

Romance

3  

akhilesh yadav

Romance

सावन

सावन

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अब के जो आए सावन..

रूठ न जइयो ..हाँ

ठहर ठहर जइयो .. हाँ

तन ही नहीं मोरा ..

मन भी भिगइयो सावन

ठहर-ठहर जइयो सावन । ।


बरसों हैं बरसी अँखियाँ

दरशन को तरसी अँखियाँ ..हाँ

बूंदन को तड़पी अँखियाँ

सूखे पड़े नैनन की

प्यास बुझइयो सावन...ठहर ठहर जइयो सावन। ।


सूनी है मन की गलियाँ

सूखी हैं दिल की कलियाँ

विरह की तपन में मोरी

काली हुई हैं रतियाँ

बदरा के होठों से ज़मीं चूम जइयो सावन ...

ठहर-ठहर जइयो सावन..

रूठ न जइयो सावन ।।


भारी गरज मोरी

तुम ना गरजियो सावन

सुनियो अरज मोरी

पिय को भिगइयो सावन

साथ ले अइयो सावन

रूठ न जइयो सावन ..

ठहर-ठहर जइयो सावन। ।


अब के जो आए सावन ....!!



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