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Kavi Ankit Prasoon

Romance

3  

Kavi Ankit Prasoon

Romance

मोहब्बत

मोहब्बत

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201

मुहब्बत में इशारों से ही ज्यादा काम लेता हूं

निगाहों से सदा उसके ही अब मैं जाम लेता हूं

जमाने में कहीं हो जाए ना बदनाम आखिर वो

इसी डर से कभी उसका नहीं मैं नाम लेता हूं


मुहब्बत ने तुम्हारी ही मुझे पागल बना रक्खा

तेरी बैरन को पांवों में तेरी पायल बना रक्खा

न जाने क्या छुपा है इन तेरी भोली निगाहों में

निगाहों ने तुम्हारी ही मुझे घायल बना रक्खा



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