मोहब्बत
मोहब्बत
मुहब्बत में इशारों से ही ज्यादा काम लेता हूं
निगाहों से सदा उसके ही अब मैं जाम लेता हूं
जमाने में कहीं हो जाए ना बदनाम आखिर वो
इसी डर से कभी उसका नहीं मैं नाम लेता हूं
मुहब्बत ने तुम्हारी ही मुझे पागल बना रक्खा
तेरी बैरन को पांवों में तेरी पायल बना रक्खा
न जाने क्या छुपा है इन तेरी भोली निगाहों में
निगाहों ने तुम्हारी ही मुझे घायल बना रक्खा