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Kavi Ankit Prasoon

Romance

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Kavi Ankit Prasoon

Romance

चाहत

चाहत

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हमारे दिल कि धड़कन गर तुम्हारे नाम हो जाऐं

तुम्हारे ही नजर से जो हमें पैगाम हो जाऐं

जमाना भी हमें ये याद रक्खेगा हमेशा ही

तुम्हारा मन बने राधा मेरा घनश्याम हो जाऐं


उसके चक्कर में ही अब मैं दिन रात पढ़ता हूं

सभी उसकी अदाओ को गजल गीतों में गढता हूं

उसे अब देखने को मैं, मुझे वो देखने को अब

वो अपनी छत पे चढ़ती है, मैं अपनी छत पे चढ़ता हूं।


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