वरना तुम हाथेली पर मेरा क्यो नाम लिखती हो?
वरना तुम हाथेली पर मेरा क्यो नाम लिखती हो?
हर इक खत में मुहब्बत का क्यों तुम पैगाम लिखती हो?
जमाने से छुपा कर क्यूं मेरी पहचान रखती हो?
तुम्हारे दिल में हमारे लिए कुछ तो जरूर है
वरना तुम हथेली पर मेरा क्यों नाम लिखती हो?
इशारों ही इशारों में सभी बातें हुई मेरी
तुम्हारे ही हवाले ये सभी रातें हुई मेरी
तुम्हें ही देखकर हंसना बजा सीटी को फिर देना
तुम्हारे ही लिए सारी खुराफातें हुई मेरी