भूल न पाते
भूल न पाते
तुमसे दूर रहकर भी,
तुम्हें न भूल पाते हैं।
कभी हम मुस्कुराते हैं,
कभी आँसू बहाते हैं।
सुबह से शाम होती है,
शाम से रात होती है।
तुम्हारी एक-एक बात,
मुझको याद आती है।
जब सोने को जाते हैं,
तुम्हारे ख़्वाब आते है।
तुम होते तो यह होता,
सोंचकर हम शर्माते हैं।
पता चलता नहीं कब
आँख मेरी लग जाती है।
नींद में भी तुम्हें हम
सोंचकर के मुस्कुराते हैं।
सुबह जब नींद खुलती है,
तुम्हें मैं ढूँढने लगती।
कब आओगे सचमुच में,
तुम्हारी राह तकते हैं।