किन्नर
किन्नर
हे ईश्वर, क्या सोच के तुमने,
बनाया इनको है किन्नर ?
किस बात की इनको दी है सज़ा,
जो बनाया नहीं नारी या नर ?
हे ईश्वर....
इनकी दुआ में इतना असर है,
फूले फले सबके बच्चे।
खुद अपने बच्चे ना हो,
ऐसी क्यूँ इनको सज़ा मिलें ?
हे ईश्वर.......
इस जनम की भूल को तुम,
इसी जनम में ख़त्म करो ।
अगले जनम में सज़ा सुनाना ,
किसको क्या ये याद हो ।।
हे ईश्वर...
हे ईश्वर...