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Sonam Kewat

Romance Tragedy

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Sonam Kewat

Romance Tragedy

क्या तुझे फर्क नहीं पड़ता

क्या तुझे फर्क नहीं पड़ता

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जिंदगी जी रहा हूँ पर आजकल

बिना बात किसी से नहीं झगड़ता

तुम्हें मुस्कुराते देख सोचता हूं कि

क्या तुझे सच में फर्क नहीं पड़ता 


लगता है तू भूल गई है कि कैसे

हम सुबह साथ में चाय पीते थे 

या फिर वो सारे पल जब हम

एक दूसरों को देखकर जीते थे 


या शायद तुम भूल गए हो कि 

मैं किसी का हाथ पकड़कर नहीं चलता 

बस अब इतना ही बता दे कि

क्या तुझे सच में फर्क नहीं पड़ता 


वैसे तू उसके साथ रहती तो है पर 

साथ कभी भी लगती नहीं है 

मेरी आँखों में आँखें मिलाकर कह दे

तुझे मेरी कमी महसूस होती नहीं है 


अगर कोई मजबूरी है तो बता दे 

साथ मिलकर सब कुछ झेलेंगे

हम बड़े हो गए हैं तो क्या हुआ

पहले जैसे बच्चों की तरह खेलेंगे 


समझ नहीं आता अचानक से 

तेरा यूं चले जाना सही था क्या 

तेरे मुसीबत इतनी बड़ी थी कि 

मैं तेरे काबिल नहीं था क्या 



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