गरीब मजदूर
गरीब मजदूर
गरीब मजदूर सारी उम्र भटकता रहता है,
रोटी कमाने के जद्दोजहद में,
सुकून का एक भी लम्हा नहीं उसकी किस्मत में।
कभी फ़ाका -कशी में उसके दिन कटते हैं,
उसके बच्चे दाने- दाने को तरसते हैं,
तन ढाँपने को भी कई बार मय्यसर नहीं होता है,
बेचारों का जीवन बस ऐसे ही गुजरता है।