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Bindiya rani Thakur

Tragedy

3  

Bindiya rani Thakur

Tragedy

गरीब मजदूर

गरीब मजदूर

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गरीब मजदूर सारी उम्र भटकता रहता है,

रोटी कमाने के जद्दोजहद में, 

सुकून का एक भी लम्हा नहीं उसकी किस्मत में। 


कभी फ़ाका -कशी में उसके दिन कटते हैं, 

उसके बच्चे दाने- दाने को तरसते हैं,


तन ढाँपने को भी कई बार मय्यसर नहीं होता है, 

बेचारों का जीवन बस ऐसे ही गुजरता है।


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