"दोबारा कभी..."
"दोबारा कभी..."
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कॉन्क्रीट वन
विकास या विनाश?
वृक्ष उवाच
साँसे महँगी
सस्ती मौत है यहां
प्रदूषण से
ऊंचे पर्वत
नदी, सागर, खेत
लहलहाते
रंगी नज़ारे
हरिता, और शुद्ध
अनिल, जल
दोबारा कभी
प्रकृति का सौंदर्य
देख पाएंगे?
संभल जाएं
और ईश्वर से हो
क्षमा याचना।