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Rupal Sanghavi "ઋજુ"

Romance Fantasy Others

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Rupal Sanghavi "ઋજુ"

Romance Fantasy Others

"यादों की तितलियां'

"यादों की तितलियां'

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खोई रहती हूं हरदम

खयालों में तुम्हारे

नहीं रहती सुधबुध

किसी दशा दिशा की

चली जाती हूं कहीं और

जाना कहीं और होता है।

शाम होते ही कई बार 

आसपास मेरे मँडराती हैं

तुम्हारी यादों की

ढेरों रंगबिरंगी तितलियां।

या कोई एक आकर 

बैठ जाती हैं मेरी उँगली पर

अपने गुँजन से कहती हैं मुझे

देखो तो!

सारे रंग है मेरे पास

तुम्हें भी दूँ कुछ रंग ?.

ताकी 

तुम्हारी आँखों में भी सजे

सतरंगी इंद्रधनुष!

या फिर तुम ही! 

ओढ़े रखना चाहती हो

यह उदासी?

क्या जवाब देती मैं?

तुम्हारी यादों में सराबोर

कहा मैंने 

क्या करूँगी लेकर इंद्रधनुष ?

मेरी आँखों में 

आती रहती हैं

अनगिनत लहरें!

दिल के समंदर से

इसीलिए 

अश्कों के साथ ही

झर जाएंगे सारे रंग भी।

तुम्हारी यादों की तितलियां

मेरी हर शाम उदास करती है।

और उदास होतीं हैं

मेरे साथ 

एहसास की अनगिनत लहरें

और सारे इंद्रधनुष के रंग भी।



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