"तमन्ना"
"तमन्ना"
न कुछ पाने की तमन्ना है और ना ही कुछ खोने का ग़म,
ना कोई ख्वाब भी अब जगाता है और ना ही यादों का हुजूम।
ना कोई दर्द से अब वास्ता है ना परेशाँ करता है ज़ुल्म,
ना ही अब घाव रिसते है ना असर करता है कोई मरहम।
है तो बस,
कुछ खयाल
कुछ एक लम्हे
कुछ टुकड़े शीशा-ए- दिल के
और अनगिनत खरोंचों के निशां।
