कुनीति चरम पर फैली खाती नीति को नोच। कुनीति चरम पर फैली खाती नीति को नोच।
ना कोई ख्वाब भी अब जगाता है और ना ही यादों का हुजूम। ना कोई ख्वाब भी अब जगाता है और ना ही यादों का हुजूम।
निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार। निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार।