पर्यावरण
पर्यावरण
हरे-भरे पेड़ों को
काट रहा मानव
निज स्वार्थ हेतु
भौतिक सुख के लिए
धरा को बना रहे कुरूप
बहुतायत में कटते पेड़
उजाड़ रहे
जानवरों के वास स्थल
उजड़ते जंगलों से
बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन
बढ़ रहा वैश्विक तापन
जिससे बढ़ता जा रहा
पर्यावरण प्रकोप
जो तोड़ देगा
मानव का घमंड, देगा दंड
उसकी उद्दंडता का....
मूर्खता का और
संवेदनहीनता का।
