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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Others

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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

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जीवन जलता रहता है

जीवन जलता रहता है

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मोमबत्ती की ज्योति के सम,

जीवन जलता रहता है।

शनै-शनै कालचक्र से,

तन पिघलता रहता है।

जब तक प्राण हैं यह ज्योति,

झंझावतों से लड़ती है।

इनके प्रखर प्रहारों से,

कोई जीती है, कोई मरती है।

कोई हारती बीच मार्ग में,

बिना पूर्णता का सुख भोगे।

कोई जीती है अंतिम क्षण तक,

निडरता से निश्चिंत होके।

ज्योति है मानव का जीवन,

जब तक साँस है जलना है।

जलते-जलते आलोकित हो,

जग प्रकाशित करना है।


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