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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Abstract Inspirational

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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Abstract Inspirational

बेरोजगारी का दर्द

बेरोजगारी का दर्द

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हे प्रभु! अब उपकार करो।

हम सबका बेड़ापार करो।

अब नींद न आती रातों को।

अब सह न पाते बातों को।

हम सबसे नज़र चुराते हैं।

छिप-छिपकर आते-जाते हैं।

क्योंकि हमसे ये सवाल होता है।

भाई! क्यूं जीवन खोता है।

कब तक यूं पढ़ते जाओगे?

आखिर, नौकरी कब पाओगे?

देखो उम्र गुजर गयी है आधी।

कर रहे हो कब तुम शादी?

मैं जल्दी ही कह टल जाता हूं।

बस रिजल्ट आ जाए बताता हूं।

ताने चुभने जब लगते हैं।

आंखों से आंसू झरते हैं।

तब याद तुम्हारी आती है।

मन में आशा जग जाती है।

कि एक दिन पार लगाओगे।

जीवन में खुशियां लाओगे।

ये विश्वास रहे यूं मेरे भीतर।

अब कृपा करो हे जगदीश्वर!



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