STORYMIRROR

Satpreet Singh

Abstract

4  

Satpreet Singh

Abstract

15 अगस्त

15 अगस्त

1 min
627

15 अगस्त तो हर साल होगी

मग़र ऐसी अगस्त फिर शायद ही होगी। 

कि एक हाथ में होगा तिरंगा 

और दूसरे हाथ में राखी होगी। 


अबकी ये दिन बड़ा ख़ास होगा 

कि हमवतन हमारे आज़ाद होंगे। 

छुरी से शमशीर भेदने वाले हमारे

'वीर' का 'अभिनन्दन' होगा। 

15 अगस्त तो हर साल होगी

मग़र ऐसी संजोग वाली फिर शायद ही होगी।


गीत आज भी बजेंगे,

मिठाइयाँ आज भी बँटेंगी। 

अग़र नहीं होगी तो बस

हमारी अटल सुषमा नहीं होंगी। 

15 अगस्त तो हर साल होगी

मग़र ये कमी शायद ही पूरी होगी।


सरहद पर शत्रु दनदना रहा होगा 

और हम तिरंगे की छाँव में सुकून से होंगे। 

ये 15 अगस्त हर साल होगी

और मस्ती का ये आलम भी हर साल होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract