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Satpreet Singh

Abstract

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Satpreet Singh

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इसरो तुम महान हो

इसरो तुम महान हो

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इसरो तुम महान हो 

​इसरो तुम महान हो,

तुम वतन का सच्चा सम्मान हो,

विज्ञान का स्वाभिमान हो। 


घुप्प अंधेरे ब्रह्मांड में जैसे तुम

अकेले दीप्तिमान हो। 

तुम हमें मंगल- चाँद तक

ले जाने वाले यान हो, 


अंतरिक्ष में उड़ता हुआ

जैसे कोई शक्तिमान हो। 

तुम सोए हुए ब्रह्मांड में

एक एक जगा हुआ स्वप्न हो। 


अजमल ग्रहों के चक्कर

लगाता जैसे कोई नौजवान हो। 

तुम चंदा के माथे पर

सजे तिलक- सा सम्मान हो।


तुम खगोल का ज्ञान हो,

बहुचर्चित प्रज्ञान हो। 

तुम देश को देर रात तक

जगाए रखने वाले अभियान हो। 


सफलता- असफलता के भय से

दूर जैसे कोई इत्मिनान हो। 

तुम अंतरिक्ष बिरादरी में

एक जाना- पहचाना नाम हो। 


दूसरी दुनिया में जाकर

बसे एक नये हिन्दुस्तान हो।

सच में इसरो तुम महान हो।

तुम दुनिया की नज़रों में चढ़े

हमारी तरक्की का निशान हो।

 

तुम भारत की क़ाबिलियत का

जीता-जागता प्रमाण हो। 

अंतरिक्ष की दुनिया में तुम

एक पुराने मेहमान हो। 


इकट्ठे 104 उपग्रह ले जाने

वाले तुम इकलौते कीर्तिमान हो।

बाढ़ आए या हो मुठभेड़ कहीं, 

तुम सूचनाओं का पुख़्ता उद्गम स्थान हो। 


तुम अपनी ज़िद से दुनिया

बदलने वाले 'के सीवान' हो। 

यूँ ही दुनिया नहीं कहती

कि इसरो तुम महान हो।


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