गुरुजी
गुरुजी
गुरुजी की परिभाषा में अब हुआ बड़ा परिवर्तन ,
कुछ दशकों पहले था ,कुछ ऐसी निखरता रूप हमारा,
पहने ऐनक और हाथ छड़ी ,छवि बड़ी ही मनमोहक ,
घंटी बजाती गुरुजी की साइकिल जब सुनाई दे जाती,
गली-गली, घर-घर में स्कूल की घंटी का स्वरुप वह दे जाती ,
जैसे ही सुनते हम साइकिल की घंटी की आवाज,
घर में पैर कहां थे टिकते देते एक दूसरे को आवाज,
स्कूल चलो ...स्कूल चलो, मास्टर जी ने किया आगाज,
गिनती पहाड़े खूब रटाते और गलती पर,दो छड़ी उपहार,
दंड दाहिनी से मन का कापता झट हो जाता सब याद,
पर प्रचलन बदला, पद भी बदला ,बदल गया सारा इतिहास,
गुरु जी की छवि भी बदली ,बदल गया सारा आभास ,
आज गुरु जी मोबाइल को लेकर, बैठ गए रचने इतिहास,
गूगल मीट से देकर शिक्षा रच रहे स्वर्णिम इतिहास,
अपनी छवि कभी न धूमिल होने दी, चाहे देना पड़ा कठिन इम्तिहान,
हम गुरुओं की बात निराली हर युग में भरे संस्कार, ,
चिर से नवीन जहां तक देखो शिक्षक धुरी संसार की ,
इतिहास के पन्नों को पलट दे ऐसी माया आपकी ।
