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Archana Samriddhi Pathak

Fantasy

3  

Archana Samriddhi Pathak

Fantasy

स्वरूप स्त्री का

स्वरूप स्त्री का

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कोई भी हूर जन्नत की, 

नहीं बसती सितारों में, 

बड़ी ही आम लड़की हूँ, 

ज़मीं पर आशियाना है।। 


नहीं है, झील सी गहरी, 

कमल जैसी मेरी आँखें, 

मगर तुम्हारे प्यार का जादू, 

इनमें झिलमिलाता है।। 

कोई भी… … 

नहीं है, चाँद सा रोशन, 

हसीं, ये नूर सा चेहरा, 

तुम्हारे अहसास का जादू, 

इन्हें दर्पण बनाता है।। 


नहीं है, लब मेरे कोमल, 

सुर्ख ये नाजुक, 

मगर तुम्हारे नाम का जादू, 

नई रंगत सजाता है।। 

कोई भी… … 

नहीं है, जुल्फ ये काली, 

घनेरी शाम के जैसी, 

तुम्हारे नज़र का जादू, 

इन्हें बादल बनाता है।। 

नहीं… . . .. 



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