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Ramesh Mendiratta

Abstract Romance Fantasy

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Ramesh Mendiratta

Abstract Romance Fantasy

निर्वस्त्र इच्छाओं का आंदोलन

निर्वस्त्र इच्छाओं का आंदोलन

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निर्वस्त्र इच्छाओं का पत्र,  

लिखा मैंने चाँदनी रात में,  

हर शब्द में छुपी थी,  

एक अनकही बात में।


भावनाओं की स्याही से,  

लिखे थे मैंने सपने,  

हर पंक्ति में बसी थी,  

तुम्हारी यादें अपने।


खामोशियों की भाषा में,  

कह दी मैंने सब बातें,  

निर्वस्त्र इच्छाओं का पत्र,  

बन गया प्रेम की सौगातें।


तारों की छांव में,  

लिखे थे मैंने अरमान,  

हर अक्षर में बसी थी,  

तुम्हारी मुस्कान।


रात की नीरवता में,  

गूंजती थी तुम्हारी हंसी,  

हर पन्ने पर बसी थी,  

तुम्हारी प्यारी सी खुशी।


निर्वस्त्र इच्छाओं का विषय 

था एक प्रेम का गीत,  

हर शब्द में बसी थी,  

तुम्हारी मधुर प्रीत।


आशाओं की रोशनी में,  

लिखे थे मैंने वचन,  

हर पंक्ति में बसी थी,  

तुम्हारी यादों की धुन।


यह पत्र था एक सपना,  

जो मैंने देखा था जागते हुए,  

हर शब्द में बसी थी,  

तुम्हारी यादें सजीव होते हुए।


निर्वस्त्र इच्छाओं का पत्र,  

था एक प्रेम की निशानी,  

हर पन्ने पर बसी थी,  

तुम्हारी प्यारी कहानी।


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