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Ramesh Mendiratta

Abstract

4  

Ramesh Mendiratta

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मैं खुद चला जाऊगा आगे बारिश में

मैं खुद चला जाऊगा आगे बारिश में

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 मैं खुद चला जाऊँगा,

आप क्यों कष्ट करते है


मैं खुद चला जाऊँगा 

(आप के कन्धे पे भार नहीं दूँगा) 

क्यों कष्ट करते हैं।

जीवन की इस राह में,

हर कदम पर संघर्ष करते हैं।


आग की लपटों में भी,

सपनों को संजोते हैं।

हर दर्द को सहते हुए,

मुस्कान को ओढ़ते हैं।


अपनी चिंता का भार,

मुझ पर न डालें।

मैं खुद चला जाऊँगा आगे 

देह ही तो है मेरी 

आप क्यों कष्ट करते हैं।


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