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Ramesh Mendiratta

Abstract

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Ramesh Mendiratta

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अधूरे ख्वाब

अधूरे ख्वाब

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अधूरे ख्वाबों का मौसम है,

तन्हाई की ये कैसी कसम है।

दिल में उम्मीदों की शमा जलती रही,

इश्क में जो अधूरा रह गया, वो अलम है।


चाँदनी रात में तेरी यादों का सफर,

अधूरे लफ्ज़, अधूरी बातें, अधूरा हर सफर।

तेरी आवाज़ की गूँज में ढूँढता हूँ मैं किनारा,

इश्क अधूरा सही, पर ये दिल अब भी तुम्हारा।


बीते लम्हों की खुशबू में बसा तेरा एहसास,

अधूरे इश्क की ये तन्हाई, बनी रहस्य की राज़।

तेरी मीठी बातों का अब तक है इंतज़ार,

इश्क अधूरा सही, पर ये दिल ना हो पाया बेज़ार।

अलम = दुख 


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