इक चराग बुझा हुआ
इक चराग बुझा हुआ
कैसे दिखाएँ दुनिया क़ो इक दिल दुखा हुआ
जो कुछ हुआ मेरे साथ में बहुत बुरा हुआ
जलता रहा मेरा ये दिल यूँ ही तमाम रात
तमाम रात जलता रहा इक चराग बुझा हुआ
तोड़े गए फूलों के यहाँ खरीददार हैं बहुत
कुचला गया उस फूल को जो था टूटा हुआ
मेरे उसके दरमियाँ सब फासले अना के हैं
वरना अपनी जान से कब कौन खफा हुआ
