STORYMIRROR

Ramesh Mendiratta

Abstract

4  

Ramesh Mendiratta

Abstract

य़ह सपने non linear हैं

य़ह सपने non linear हैं

1 min
4

सपनों की बात कौन करे 

सपने अगर सच हो जाते, मंज़र क्या होता!

अगर आ जाती बहारें कहीं, तो बंजर कहाँ होता?

न जाने कितने नयनो ने ख्वाब छीनते देखे हैं,

सवाल बनते देखे हैं, जवाब छीनते देखे हैं।


जो सपना देखा था हमने, काश उसी में रहते हम,

इस दुनिया की न सुनते एक, इस दुनिया से न कहते हम।

आँखे मूंदे-मूंदे, मदिरा पीते रहते हम,

नींद-नशे में बहते-बहते पिछली सीट पे रहते हम।


पर पलकों पर नहीं दिखतें सपने, नींद दिखा करती है,

हम पर मारे छींटे दुनिया "उठ जाओ प्यारे" कहती है।

हम को खींच लाती है काले-सफ़ेद रंगों में,

बांध देती है हमें दायरों में, ढंगों में।


फिर रात हम स्वप्न-नगरी में चले जाते हैं,

हकीकत में फिरते रहते हैं।

सपनों में साँसे पाते हैं, पर रोज़ सुबह ये दुनिया,

हमारे ख्वाबों को झुठलाती है।


पंखोंवाली चिड़िया पिंजरों में बाँधी जाती है,

एक दफा हम छोड़ आये दुनिया, और सपनो का एक झोला सी डाला।

स्वयं उठकर फिर अगली सुबह, उन सपनो में,

रंग सच्चाई का भर डाला।


जब लौटे बेरंग दुनिया में, तो वो रंग हवा में उछाल दिए,

न टूटे कभी ख्वाब किसी के, उस दिन सब ने ख्वाब सीए।

सब ने मिलकर उस दिन का शहर सजाया,

गहरी-गहरी रातों में जिसने जो देखा सो पाया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract