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Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

Abstract

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Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

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अनोखा पंछी

अनोखा पंछी

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पंछी अनोखा

आया मेरे आँगन में

बोले मीठी सी बोली

बैठे आकर बारंबार

मेरी ही खाने की थाली में

प्याला जो देखा जल का मेरा

चोंच मारे उस प्याली में

समझ गई मैं

माँग रहा था अन्न और जल

वह अपनी प्यारी

मीठी - सी बोली में

गृहण करके अन्न जल वह

लगा चहकने सुर ताल लगाकर

महक़ा दिया आँगन और जीवन मेरा

उस प्यारे से पंछी ने

आया अनोखा प्यारा सा पंछी

आज मेरे आँगन में ।


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