आज भी है ..
आज भी है ..
ज़िंदा तो वो भी है ,
ज़िंदा तो हम भी हैं ,
कतल तो इश्क़ है हुआ ,
जज़्बात वैसे आज भी हैं ,
ज़हन ने उसकी तस्लीम कर रखी है,
आंखों मै उसका ख़्वाब सज़ा आज भी है ,
दो जिस्म एक जान ,
बेवफ़ाई का इल्जाम उसके नाम आज भी है ,
एक हसीन आज खफा है,
मगर उस शक्स से मोहब्बत आज भी है,
पलकों के पीछे उसकी तस्वीर बसा रखी है ,
दिल के चार दीवारों में उसका चेहरा आज भी है,
कभी जिसे रूठने पर हंसाया करता
वो इन आसुओं का सबब आज भी है ।
