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SUHAS GHOKE

Abstract

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SUHAS GHOKE

Abstract

आज भी है ..

आज भी है ..

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ज़िंदा तो वो भी है ,

ज़िंदा तो हम भी हैं ,


कतल तो इश्क़ है हुआ , 

जज़्बात वैसे आज भी हैं , 


ज़हन ने उसकी तस्लीम कर रखी है, 

आंखों मै उसका ख़्वाब सज़ा आज भी है ,


दो जिस्म एक जान ,

बेवफ़ाई का इल्जाम उसके नाम आज भी है ,


एक हसीन आज खफा है,

मगर उस शक्स से मोहब्बत आज भी है, 


पलकों के पीछे उसकी तस्वीर बसा रखी है ,

दिल के चार दीवारों में उसका चेहरा आज भी है, 


कभी जिसे रूठने पर हंसाया करता 

वो इन आसुओं का सबब आज भी है ।



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