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SUHAS GHOKE

Romance Tragedy Inspirational

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SUHAS GHOKE

Romance Tragedy Inspirational

हाल -ए -दिल

हाल -ए -दिल

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टूटने का ख़्वाब जो पनपा मैं बिखरने लगा हूँ

उसकी मुसकुराहट देख संवरने लगा हूँ


तू मिल जाए किसी किताब में गुलाब की तरह 

इस उम्मीद के खातिर मैं निखरने लगा हूँ


आंखें हर पल तड़पती है तेरे दीदार की खातिर 

तस्वीर तेरी पाकर मैं मचलने लगा हूँ


तेरा खिड़कियों मैं अब ना देखना उदास करता है 

मैं अंदर ही अंदर झुलसने लगा हूँ


अरसों बाद बड़ी दूर जाकर मिले हो मुझे तुम 

 इस खुशी के मारे मैं चहकने लगा हूँ


 लोग अक्सर पूछते है हाल -ए -दिल मेरा 

 जवाब मैं उसका नाम पुकारने लगा हूँ

 

अब तो खुल कर रोई भी जमाना हुआ 

दर्द अपने अंदर ही छुपाकर मुस्कुराने लगा हूँ



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