इज़हार-ए-मोहब्बत
इज़हार-ए-मोहब्बत
बिछड़ने का दिल भी करेगा,
मिलने का दिल भी करेगा
अल्फ़ाज़ कुरेद कोरे पन्नों पर,
ख़त लिखकर मोहब्बत जताने का दिल भी करेगा
फोन मै तस्वीर देखकर
कसकर गले लगाने का दिल भी करेगा
आनन पे होठों के ऊपर तिल देख,
बोसा लेना का दिल भी करेगा
लाख छुपा लू इज़हार-ए-मोहब्बत,
जताने का दिल भी करेगा
तजस्सुस मै है हम दिलबरो के
उन्हें अपनी ग़ज़लें नज़्में सुनाने का दिल भी करेगा
फिजा मै उड़ती ज़ुल्फ को देखकर,
अपने हाथों से उसकी ज़ुल्फ को सहलाना का दिल भी करेगा
महज़ अपने आप मै कला है वो
उस कला का कलाकार बनने का दिल भी करेगा।