खिल जाने दो फूलों की तरह कुछ अपने महक महकने दो बच्चे हैं बच्चे रहने दो। खिल जाने दो फूलों की तरह कुछ अपने महक महकने दो बच्चे हैं बच्चे रहने दो।
छत से पकड़ लेते थे चाँद हाथों में अब दरम्यां हुज़ूम-ए-शज़र नज़र आये छत से पकड़ लेते थे चाँद हाथों में अब दरम्यां हुज़ूम-ए-शज़र नज़र आये
आंखें हर पल तड़पती है तेरे दीदार की खातिर तस्वीर तेरी पाकर मैं मचलने लगा हूँ आंखें हर पल तड़पती है तेरे दीदार की खातिर तस्वीर तेरी पाकर मैं मचलने लगा हूँ