#सितारें ज़मीं पर नज़र आये..
#सितारें ज़मीं पर नज़र आये..
परछाईं जब भी देखी पानी में
सितारे ज़मीं पर नज़र आये
जैसे आलम सारा था मुट्ठी में
मगर भ्रम के बुलबुले फिसलते नज़र आये
छत से पकड़ लेते थे चाँद हाथों में
अब दरम्यां हुजूम-ए-शज़र नज़र आये
कहाँ आजाद बचपन बीत गया चहकने में
शब के कफ़स में कैद हो बैठें हैं
कब रिहा करने फ़ज़र नज़र आये_
क्यूँ इंतज़ार किसी की आग़ाज़ का
ए दिल तू खुद ही एक नया आग़ाज़ कर
ना बंध यूँ फ़िज़ूल में
ज़माना भी बह जायेगा
तू खुशबू सी हवा तो बन
फिर होगा नहीं उम्र का गिला
शायद ज़िन्दगी बचपन सी फिर नज़र आये....
