बच्चे हैं बच्चे रहने दो
बच्चे हैं बच्चे रहने दो
बच्चे हैं बच्चे रहने दो
बचपन के कुछ पल जीने दो
लादो न बोझ से ऐसे
बन पंछी उसे चहकने दो
बच्चे हैं बच्चे रहने दो ।
अपने सपनों से मत जोड़ो
अरमान जो उनके, मत तोड़ो !
खिल जाने दो फूलों की तरह
कुछ अपने महक महकने दो
बच्चे हैं बच्चे रहने दो।
पढ़ने लिखने से मत रोको
न खेल कूद में ही टोको
बढ़ रहे अगर वे सत्य राह
अपने बल कुछ गुजरने दो
बच्चे हैं बच्चे रहने दो।
आयेगा समय, तो ये बच्चे
कर्तव्य से होंगे न पीछे
गुणगान करेगा जग सारा
अभी अपने धुन कुछ गाने दो
बच्चे हैं बच्चे रहने दो ।