हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल
हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल
अपने सारे साथी और झूले
वह पार्क और खिलते फूल।
हम बच्चों को है याद आता,
हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल।
बस रहो घर के ही बंधन में,
घर की घिसी -पिटी बातें।
बस दिन में छत के वे गमले,
फोन टीवी के सामने ये रातें।
क्लास रूम की वे शरारतें ,
कहीं हम जाएं ही न भूल।
अपने सारे साथी और झूले
वह पार्क और खिलते फूल।
हम बच्चों को है याद आता,
हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल।
सारे ही बड़े तो सुने जाते हैं,
अक्सर आहें भरकर यह कहते।
बचपन खुशियों से भरा होता है,
काश हम सब सदा बच्चे ही रहते।
न जाने कब तक रहना होगा बंद?
अपने सपनों से कब हटेगी धूल?
अपने सारे साथी और झूले
वह पार्क और खिलते फूल।
हम बच्चों को है याद आता,
हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल।
सब कहते हैं अब तो आने वाली ,
कोरोना की तीसरी भयानक लहर।
जो बच्चों के लिए ज्यादा है घातक,
तीव्र संक्रमण ढाएगा हम पर कहर।
भावी पीढ़ी पर छाया जो आज खतरा,
ये थी हमारी या तुम्हारी भयंकर भूल?
अपने सारे साथी और झूले
वह पार्क और खिलते फूल।
हम बच्चों को है याद आता,
हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल।
न जाने क्यों तुमने अनावश्यक,
ढेर ही सारे सपने थे सजाए ?
पूरा करने को इन सपनों को,
रातों की नींद चैन दिन का गंवाए।
आने वाली तृष्णा भरी खुशी हेतु,
आज की खुशी के हर पल को,
तुम सब संबंधों-खुशी गए भूल।
अपने सारे साथी और झूले
वह पार्क और खिलते फूल।
हम बच्चों को है याद आता,
हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल।
भविष्य की व्यर्थ की चिंताएं छोड़ो,
हमसे सरलता सरसता कुछ ले लो।
आने वाला कल देखा है किसने ?
आज गम छोड़कर खुशियां ले लो।
हम सबके ही संग बच्चे बनकर,
हम तो हैं तुम्हारे चमन के ही फूल।
अपने सारे साथी और झूले
वह पार्क और खिलते फूल।
हम बच्चों को है याद आता,
हमारा प्यारा-प्यारा सा स्कूल।